13
आकरी चेतावणी ने आव-भाव
1 हय तीसरी कावा मे तुंद्रे धड़े आवो, “दुय नीते तीन गवान मुंहडा सी हरीक एक वात ठेहरावसे।”
2 जसु मे जत्यार दीसरी कावा तुंद्रे साते हतलु, असुत हय छेटा रवते जाय हीनु माणसे सी जे पेहल पाप कर्या, ने दीसरा आखा माणसे सी हय पेहल सी कय दम, की कदी मे अळी आवीस, ती नी छुड़ो,
3 काहाकी तुहुं ते हेरो सबुत चाहु, की मसी मारे मां बुले, जे तुंद्रे वाटे लुला नी; बाकुन तुंद्रे मां ताकत छे।
4 चु लुलान वजे कुरुस पर चड़ाय ते गुयु, तेबी भगवानेन ताकत सी जीवतेलु छे, हामु बी हेरेमां लुलु छे; बाकुन भगवानेन ताकत सी जे तुंद्रे वाटे छे, हेरे साते।
5 आपणे आप काजे पारखु, की भुरसा मां छे की नी; आपणे आप काजे पारखु, काय तुहुं आपणे बारामां ज्य नी जाणे, की ईसु मसी तुंद्रे मां छे। नीते तुहुं पारख मां पापी नीकळे।
6 बाकुन मारी आस छे, की तुहुं जाणी लेसु, की हामु पापी नी हय।
7 हामु आपणा भगवान सी जी दुवा करजे, की तुहुं काय बी कुहराय नी करु; हेरेसी नी, की हामु खरला देखाव पड़े, बाकुन हेरेसी की तुहुं भलाय करु, चाहे हामु पापी रवजे।
8 काहाकी हामु छाचाय्न वीरुद मां काय बी नी कर सकजे, बाकुन सय वाटे कर सकजे।
9 जत्यार हामु लुला छे, ने तुहुं जुर वाळा छे, ती हामु खुसी हवजे, ने जी दुवा बी करजे, की तुहुं सय हय जावु।
10 एरे वजे सी मे तुंद्रे आसा पछळ जी वात लिखो, की तुंद्रे अगळ उबु हयन मेसे हीना हकेन अनसारे तीनाक मालीक बीगाड़ने वाटे नी बाकुन बणावणे वाटे मेसे आपलु छे, काठा एहवार सी मेसे काय करनु नी पड़े।
आव-भाव
11 अळतेन ए भायसे, खुसी मां रवु; सय बणी जावु; हिम्मत राखु; एकुत मन रवु; मेळीन रवु, ने परम ने सांतीन दातान भगवान तुंद्रे साते रवसे।
12 एक दीसरा काजे चुखला गुळु दीन आवजु ने आवीस कवो।
13 मालीक ईसु मसीन दया, ने भगवानेन परम आखा चुखली-आत्मान साजेदारी बणीन रवे।
14 मालीक ईसु मसीन गीण-दया ने भगवानेन परम ने चुखली-आत्मान साजी तुहुं आखा साते हवती रवे।