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राजा क लारे मोर्दके क सम्मान
तेने राती राजा क नींद नी आवी, एकालिय ओका हुकुम सी इतिहास नु किपात लावी गय, आरु भनीन राजा क सोमवाड़्यो गयो। ओकामा यो लिखलो हुओ मिळ्यो, कि जोत्यार राजा क्षयर्ष क हाकिम क द्वारपाल वी हुतो, उनामा सी बिगताना आरु तेरेश नावोन दुय जना न उना पोर हाथ चालाड़नेन विचार कोर्या हुता उना मोर्दके न प्रगट कोर्लो हुतो। तोत्यार राजा न पुछ्यो, “एका बोदले मोर्दके नु काय प्रतिष्ठा आरु बड़ाई कर्‌यो गयो?” राजा क जे सेवक ओकी चाखरी कोर रोया हुता, हुये ओको जपाप आप्या, “ओका लिय काय वी नी कोर्‌यो गुयो।” राजा न पुछ्यो, “आँगना मा कुन छे?” तेने टेमे हामान राजा क भवन सी खोयड़े आँगना मा एना विचार सी आयो हुतो, की ज खाम्बो हुयो मोर्दके क लिय तियार कोरायो हुतो, उना पोर ओको लटकाय देनेन वात राजा सी कोरे। तोत्यार राजा क चाख्र्या न उनासी कोया, “आँगना मा ते हामान उबो छे।” राजा न कयो, “ओको धड़े बुलाय लावु।” जोत्यार हामान धड़े आयो, तोत्यार राजा न उनासी पुछ्यो, “जेना मानुस नु प्रतिष्ठा राजा कोरनो चाहतो हय ती ओका लिय काय कोरनो वारु होयसे?” हामान न यो सुचीन, की म्हारे सी जागा राजा कुदाक प्रतिष्ठा कोरनो चाहतो हसे? राजा क हामान जपाप आप्यो “जेना मानुस क प्रतिष्ठा राजा कोरनो चाहे, ओका लिय राजकीय पुतल्या लाया जाय, ज राजा पेहरतो छे, आरु एक घुल्लो वी, जेना पोर राजा सवार होयतो होय, आरु ओका मुनका पोर ज राजकीय मुकुट मेक्यो जातो छे हुयो वी लायो जाय। ओळी चो पुतल्या, आरु हुयो घुल्लो राजा क कुदा मोटा हाकिम क सोवंप्यो जाय, आरु जेरी प्रतिष्ठा राजा कोरनो चाहतो होय, ओको हुये पुतल्या पेहराया जाय, आरु उना घुल्‌ला पोर सवार कोरीन, नगर क चोक मा ओको फिरायो जाय; आरु ओका अगळ-अगळ यो पोरचार कोर्‌यो जाय, जेरी प्रतिष्ठा राजा कोरनो चाहतो छे, ओका साथ असोज कोर्‌यो जासे।” 10 राजा न हामान सी कयो, “उतवाळ कोरीन आपसा कोहनेन ओनसारे तेनु पुतल्या आरु तेना घुल्‌ला क लि, उना यहुदी मोर्दके सी ज राजभवन क फाटक मा बोठ्‌या कोरतो छे, तसोज कोर। जसो तुन कयो छे उनामा काय वी कोमी होयनो नी जुवे।” 11 तोत्यार हामान न उना पुतल्या, आरु घुल्‌ला क लिन, मोर्दके क पेहरायो, आरु उना घुल्‌ला पोर चड़ावीन, नगर क चोक मा एने रिते आयड़तो हुयो फिरयो, “जेरी प्रतिष्ठा राजा कोरनो चाहतो छे ओका साथ असोज कोर्‌यो जासे।” 12 ती मोर्दके ते राजभवन क फाटक मा लौटी गुयो पुन हामान शोक कोरतो जाईन आरु मुनको ढाँकीन झट आपसे घर क गुयो। 13 हामान न आपसी घरवाळी जेरेश आरु आपसा आखा दुसतीदार सी आखो काहीन ज उना पोर वित्यो हुतो कयो। ती ओका ओकोलवाळा दुसरतीदार आरु ओकी घरवाळी जेरेश न उनासी कव्या, “मोर्दके जेनाक तु नेचो देखाड़नो चाहतो छे, कदाम हुयो यहुदियो क ओवलियाद मा क छे, ती तु उना पोर जीत नी होयने पावसे उनासी पुरी रीती नेचो होय जाईस।”
हामान नु मोत
14 हुये उनासी वातेत कोरता हुता, की राजा क खोजे आवीन हामान क एस्तेर क कोरला भोज मा उतळाव सी बुलाय ली गुया।
6:2 एस्तेर 2:21-22