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अंतियोख़ नगर की कलीसिया में अनेक भविष्यवक्ता और शिक्षक थे: बारनबास, शिमओन, जिनका उपनाम निगेर भी था, कुरेनी लुकियॉस, मनायेन, (जिसका पालन पोषण राज्य के चौथाई भाग के राजा हेरोदेस के साथ हुआ था) तथा शाऊल. जब ये लोग प्रभु की आराधना और उपवास कर रहे थे, पवित्र आत्मा ने उनसे कहा, “बारनबास तथा शाऊल को उस सेवा के लिए समर्पित करो, जिसके लिए मैंने उनको बुलाया है.” इसलिये जब वे उपवास और प्रार्थना कर चुके, उन्होंने बारनबास तथा शाऊल पर हाथ रखे और उन्हें इस सेवा के लिए भेज दिया.
सैप्रस में
पवित्र आत्मा द्वारा भेजे गए वे सेल्युकिया नगर गए तथा वहां से जलमार्ग से सैप्रस गए. वहां से सालामिस नगर पहुंचकर उन्होंने यहूदियों के सभागृह में परमेश्वर के संदेश का प्रचार किया. सहायक के रूप में योहन भी उनके साथ थे.
जब वे सारे द्वीप को घूमकर पाफ़ॉस नगर पहुंचे, जहां उनकी भेंट बार-येशु नामक एक यहूदी व्यक्ति से हुई, जो जादूगर तथा झूठा भविष्यवक्ता था. वह राज्यपाल सेरगियॉस पौलॉस का सहयोगी था. सेरगियॉस पौलॉस बुद्धिमान व्यक्ति था. उसने बारनबास तथा शाऊल को बुलवाकर उनसे परमेश्वर के वचन को सुनने की अभिलाषा व्यक्त की किंतु जादूगर एलिमॉस—जिसके नाम का ही अर्थ है जादूगर—उनका विरोध करता रहा. उसका प्रयास था राज्यपाल को परमेश्वर के वचन में विश्वास करने से रोकना, किंतु शाऊल ने, जिन्हें पौलॉस नाम से भी जाना जाता है, पवित्र आत्मा से भरकर उसे एकटक देखते हुए कहा, 10 “हे, सारे छल और कपट से ओत-प्रोत शैतान के कपूत! सारे धर्म के बैरी! क्या तू प्रभु की सच्चाई को भ्रष्‍ट करने के प्रयासों को नहीं छोड़ेगा? 11 देख ले, तुझ पर प्रभु का प्रहार हुआ है. तू अंधा हो जाएगा और कुछ समय के लिए सूर्य की रोशनी न देख सकेगा.”
उसी क्षण उस पर धुंधलापन और अंधकार छा गया. वह यहां वहां टटोलने लगा कि कोई हाथ पकड़कर उसकी सहायता करे. 12 इस घटना को देख राज्यपाल ने प्रभु में विश्वास किया, क्योंकि प्रभु की शिक्षाओं ने उसे चकित कर दिया था.
पिसिदिया प्रदेश के अंतियोख़ में पौलॉस
13 पौलॉस और उनके साथियों ने पाफ़ॉस नगर से समुद्री यात्रा शुरू की और वे पम्फ़ूलिया प्रदेश के पेरगे नगर में जा पहुंचे. योहन उन्हें वहीं छोड़कर येरूशलेम लौट गए. 14 तब वे पेरगे से होते हुए पिसिदिया प्रदेश के अंतियोख़ नगर पहुंचे और शब्बाथ पर यहूदी सभागृह में जाकर बैठ गए. 15 जब व्यवस्था तथा भविष्यद्वक्ताओं के ग्रंथों का पढ़ना समाप्‍त हो चुका, सभागृह के अधिकारियों ने उनसे कहा, “प्रियजन, यदि आप में से किसी के पास लोगों के प्रोत्साहन के लिए कोई वचन है तो कृपा कर वह उसे यहां प्रस्तुत करे.”
16 इस पर पौलॉस ने हाथ से संकेत करते हुए खड़े होकर कहा. “इस्राएली वासियों तथा परमेश्वर के श्रद्धालुओ, सुनो! 17 इस्राएल के परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों को चुना तथा मिस्र देश में उनके घर की अवधि में उन्हें एक फलवंत राष्ट्र बनाया और प्रभु ही अपने बाहुबल से उन्हें उस देश से बाहर निकाल लाए; 18 इसके बाद बंजर भूमि में वह लगभग चालीस वर्ष तक उनके प्रति सहनशील बने रहे 19 और उन्होंने कनान देश की सात जातियों को नाश कर उनकी भूमि अपने लोगों को मीरास में दे दी. 20 इस सारी प्रक्रिया में लगभग चार सौ पचास वर्ष लगे.
“इसके बाद परमेश्वर उनके लिए भविष्यवक्ता शमुएल के आने तक न्यायाधीश ठहराते रहे. 21 फिर इस्राएल ने अपने लिए राजा की विनती की. इसलिये परमेश्वर ने उन्हें बिन्यामिन के वंश से कीश का पुत्र शाऊल दे दिया, जो चालीस वर्ष तक उनका राजा रहा. 22 परमेश्वर ने शाऊल को पद से हटाकर उसके स्थान पर दावीद को राजा बनाया जिनके विषय में उन्होंने स्वयं कहा था कि यिशै का पुत्र दावीद मेरे मन के अनुसार व्यक्ति है. वही मेरी सारी इच्छा पूरी करेगा.
23 “उन्हीं के वंश से, अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार, परमेश्वर ने इस्राएल के लिए एक उद्धारकर्ता मसीह येशु की उत्पत्ति की. 24 मसीह येशु के आने के पहले योहन ने सारी इस्राएली प्रजा में पश्चाताप के बपतिस्मा का प्रचार किया. 25 अपनी तय की हुई सेवा का कार्य पूरा करते हुए योहन घोषणा करते रहे, ‘क्या है मेरे विषय में आपका विश्वास? मैं वह नहीं हूं. यह समझ लीजिए: मेरे बाद एक आ रहे हैं. मैं जिनकी जूती का बंध खोलने योग्य तक नहीं हूं.’
26 “अब्राहाम की संतान, मेरे प्रियजन तथा आपके बीच, जो परमेश्वर के श्रद्धालु हैं, सुनें कि यही उद्धार का संदेश हमारे लिए भेजा गया है. 27 येरूशलेम वासियों तथा उनके शासकों ने न तो मसीह येशु को पहचाना और न ही भविष्यद्वक्ताओं की आवाज को, जिनका पढ़ना हर एक शब्बाथ पर किया जाता है और जिनकी पूर्ति उन्होंने मसीह को दंड देकर की, 28 हालांकि उन्हें मार डालने का उनके सामने कोई भी आधार नहीं था—उन्होंने पिलातॉस से उनके मृत्यु दंड की मांग की. 29 जब उनके विषय में की गई सारी भविष्यवाणियों को वे लोग पूरा कर चुके, उन्हें क्रूस से उतारकर कब्र की गुफ़ा में रख दिया गया 30 किंतु परमेश्वर ने उन्हें मरे हुओं में से जीवित कर दिया. 31 अनेक दिन तक वह स्वयं को उनके सामने साक्षात प्रकट करते रहे, जो उनके साथ गलील प्रदेश से येरूशलेम आए हुए थे और जो आज तक इन लोगों के सामने उनके गवाह हैं.
32 “हम आपके सामने हमारे पूर्वजों से की गई प्रतिज्ञा का ईश्वरीय सुसमाचार ला रहे हैं 33 कि परमेश्वर ने हमारी संतान के लिए मसीह येशु को मरे हुओं में से जीवित कर अपनी इस प्रतिज्ञा को पूरा कर दिया है—जैसा कि भजन संहिता दो में लिखा है:
“ ‘तुम मेरे पुत्र हो;
आज मैं तुम्हारा पिता बन गया हूं.’*
34 परमेश्वर ने उन्हें कभी न सड़ने के लिए मरे हुओं में से जीवित किया. यह सच्चाई इन शब्दों में बयान की गई है,
“ ‘मैं तुम्हें दावीद की पवित्र तथा अटल आशीषें प्रदान करूंगा.’
35 एक अन्य भजन में कहा गया है:
“ ‘आप अपने पवित्र जन को सड़ने न देंगे.’
36 “दावीद अपने जीवनकाल में परमेश्वर के उद्देश्य को पूरा करके हमेशा के लिए सो गए और अपने पूर्वजों में मिल गए और उनका शरीर सड़ भी गया. 37 किंतु वह, जिन्हें परमेश्वर ने मरे हुओं में से जीवित किया, सड़ने नहीं पाया.
38-39 “इसलिये प्रियजन, सही यह है कि आप यह समझ लें कि आपके लिए इन्हीं के द्वारा पाप क्षमा की घोषणा की जाती है. इन पापों से मुक्त करके धर्मी घोषित करने में मोशेह की व्यवस्था हमेशा असफल रही है. हर एक, जो विश्वास करता है, वह सभी पापों से मुक्त किया जाता है. 40 इसलिये इस विषय में सावधान रहो कि कहीं भविष्यद्वक्ताओं का यह कथन तुम पर लागू न हो जाए:
41 “ ‘अरे ओ निंदा करनेवालों!
देखो, चकित हो और मर मिटो!
क्योंकि मैं तुम्हारे सामने कुछ ऐसा करने पर हूं
जिस पर तुम कभी विश्वास न करोगे,
हां, किसी के द्वारा स्पष्ट करने पर भी नहीं.’ ”§
42 जब पौलॉस और बारनबास यहूदी सभागृह से बाहर निकल रहे थे, लोगों ने उनसे विनती की कि वे आनेवाले शब्बाथ पर भी इसी विषय पर आगे प्रवचन दें. 43 जब सभा समाप्‍त हुई अनेक यहूदी और यहूदी मत में से आए हुए नए विश्वासी पौलॉस तथा बारनबास के साथ हो लिए. पौलॉस तथा बारनबास ने उनसे परमेश्वर के अनुग्रह में स्थिर रहने की विनती की.
44 अगले शब्बाथ पर लगभग सारा नगर परमेश्वर का वचन सुनने के लिए उमड़ पड़ा. 45 उस बड़ी भीड़ को देख यहूदी जलन से भर गए तथा पौलॉस द्वारा पेश किए गए विचारों का विरोध करते हुए उनकी घोर निंदा करने लगे.
46 किंतु पौलॉस तथा बारनबास ने निडरता से कहा: “यह ज़रूरी था कि परमेश्वर का वचन सबसे पहले आपके सामने स्पष्ट किया जाता. अब, जबकि आप लोगों ने इसे नकार दिया है और यह करते हुए स्वयं को अनंत जीवन के लिए अयोग्य घोषित कर दिया है, हम अपना ध्यान अब गैर-यहूदियों की ओर केंद्रित करेंगे, 47 क्योंकि हमारे लिए परमेश्वर की आज्ञा है:
“ ‘मैंने तुमको गैर-यहूदियों के लिए एक ज्योति के रूप में चुना है,
कि तुम्हारे द्वारा सारी पृथ्वी पर उद्धार लाया जाए.’ ”*
48 यह सुनकर गैर-यहूदी आनंद में प्रभु के वचन की प्रशंसा करने लगे तथा अनंत जीवन के लिए पहले से ठहराए गए सुननेवालों ने इस पर विश्वास किया.
49 सारे क्षेत्र में प्रभु का वचन-संदेश फैलता चला गया. 50 किंतु यहूदी अगुओं ने नगर की भली, श्रद्धालु स्त्रियों तथा ऊंचे पद पर बैठे व्यक्तियों को भड़का दिया और पौलॉस और बारनबास के विरुद्ध उपद्रव करवा कर उन्हें अपने क्षेत्र की सीमा से निकाल दिया. 51 पौलॉस और बारनबास उनके प्रति विरोध प्रकट करते हुए अपने पैरों की धूलि झाड़ते हुए इकोनियॉन नगर की ओर चले गए. 52 प्रभु के शिष्य आनंद और पवित्र आत्मा से भरते चले गए.
* 13:33 13:33 स्तोत्र 2:7 13:34 13:34 यशा 55:3 13:35 13:35 स्तोत्र 16:10 § 13:41 13:41 हब 1:5 * 13:47 13:47 यशा 49:6