स्तोत्र 100
एक स्तोत्र. धन्यवाद के लिए गीत
याहवेह के स्तवन में समस्त पृथ्वी उच्च स्वर में जयघोष करे.
याहवेह की आराधना आनंदपूर्वक की जाए;
हर्ष गीत गाते हुए उनकी उपस्थिति में प्रवेश किया जाए.
यह समझ लो कि स्वयं याहवेह ही परमेश्वर हैं.
हमारी रचना उन्हीं ने की है, स्वयं हमने नहीं; हम पर उन्हीं का स्वामित्व है.
हम उनकी प्रजा, उनकी चराई की भेड़ें हैं.
 
धन्यवाद के भाव में उनके द्वारों में
और स्तवन भाव में उनके आंगनों में प्रवेश करो;
उनकी महिमा को धन्य कहो.
याहवेह भले हैं; उनकी करुणा सदा की है;
उनकी सच्चाई का प्रसरण समस्त पीढ़ियों में होता जाता है.