स्तोत्र 95
चलो, हम याहवेह के स्तवन में आनंदपूर्वक गाएं;
अपने उद्धार की चट्टान के लिए उच्च स्वर में मनोहारी संगीत प्रस्तुत करें.
हम धन्यवाद के भाव में उनकी उपस्थिति में आएं
स्तवन गीतों में हम मनोहारी संगीत प्रस्तुत करें.
 
इसलिये कि याहवेह महान परमेश्वर हैं,
समस्त देवताओं के ऊपर सर्वोच्च राजा हैं.
पृथ्वी की गहराइयों पर उनका नियंत्रण है,
पर्वत शिखर भी उनके अधिकार में हैं.
समुद्र उन्हीं का है, क्योंकि यह उन्हीं की रचना है,
सूखी भूमि भी उन्हीं की हस्तकृति है.
 
आओ, हम नतमस्तक होकर आराधना करें,
हम याहवेह, हमारे सृजनहार के सामने घुटने टेकें!
क्योंकि वह हमारे परमेश्वर हैं
और हम उनके चराई की प्रजा हैं,
उनकी अपनी संरक्षित* भेड़ें.
 
यदि आज तुम उनका स्वर सुनते हो,
“अपने हृदय कठोर न कर लेना. जैसे तुमने मेरिबाह में किया था,
जैसे तुमने उस समय बंजर भूमि में मस्साह नामक स्थान पर किया था,
जहां तुम्हारे पूर्वजों ने मुझे परखा और मेरे धैर्य की परीक्षा ली थी;
जबकि वे उस सबके गवाह थे, जो मैंने उनके सामने किया था.
10 उस पीढ़ी से मैं चालीस वर्ष उदास रहा;
मैंने कहा, ‘ये ऐसे लोग हैं जिनके हृदय फिसलते जाते हैं,
वे मेरे मार्ग समझ ही न सके हैं.’
11 तब अपने क्रोध में मैंने शपथ ली,
‘मेरे विश्राम में उनका प्रवेश कभी न होगा.’ ”
* स्तोत्र 95:7 मूल भाषा में हाथ की स्तोत्र 95:8 अर्थ: झगड़ा, निर्ग 17:7 देखें स्तोत्र 95:8 अर्थ: परीक्षा, निर्ग 17:7 देखें