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यीशु न उन्को सी कह्यो, “मय तुम सी सच कहूं हय, कि जो इत खड़ो हंय उन्म सी कोयी कोयी असो हंय, कि जब तक परमेश्वर को राज्य ख सामर्थ संग आतो हुयो नहीं देख ले, तब तक ऊ नहीं मरेंन।”
यीशु को बदलाव
(मत्ती १७:१-१३; लूका ९:२८-३६)
छे दिन को बाद यीशु न पतरस, याकूब अऊर यूहन्ना ख संग ले गयो, अऊर एकान्त म कोयी एक ऊचो पहाड़ी पर ले गयो। उत उन्को सामने यीशु को रूप बदल गयो, अऊर ओको कपड़ा असो चमकन लग्यो अऊर यहां तक उज्वल भयो, कि धरती पर कोयी धोबी भी वसो उज्वल नहीं कर सकय। तीन चेलावों न एलिय्याह अऊर मूसा ख यीशु को संग बाते करतो देख्यो। येको पर पतरस न यीशु सी कह्यो, “हे गुरु, हमरो इत रहनो अच्छो हय: येकोलायी हम तीन मण्डा बनायबो, एक तोरो लायी, एक मूसा लायी, अऊर एक एलिय्याह लायी।” पतरस बहुत डर गयो होतो की ओख समझ म नहीं आय रह्यो होतो कि मय का उत्तर देऊ।
तब एक बादर न उन्ख झाक दियो, अऊर ऊ बादर म सी यो आवाज निकल्यो, “यो मोरो प्रिय बेटा आय, येकी बाते सुनो।” तब उन्न अचानक चारयी तरफ देख क, अऊर यीशु ख छोड़ क अपनो संग अऊर कोयी ख नहीं देख्यो।
पहाड़ी सी उतरतो समय यीशु न उन्ख आदेश दियो कि जब तक मय आदमी को बेटा मरयो हुयो म सी जीन्दो नहीं होय जाय, तब तक जो कुछ तुम न देख्यो हय ओख कोयी ख मत बतावो।
10 उन्न यीशु की आज्ञा ख मान्यो; अऊर आपस म चर्चा करन लग्यो, “मरयो हुयो म सी जीन्दो होन को का मतलब हय?” 11  अऊर उन्न यीशु सी पुच्छ्यो, “धर्मशास्त्री कहालीकि कह्य हंय कि एलिय्याह को पहिलो आवनो जरूर हय?”
12 ओन उन्ख उत्तर दियो, “एलिय्याह सचमुच पहिलो आय क सब कुछ तैयार करन लायी आयेंन, पर मय आदमी को बेटा को बारे म शास्त्र म लिख्यो हय कि बहुत दु:ख उठायेंन, अऊर ठुकरायो जायेंन? 13 पर मय तुम सी कहू हय, कि एलिय्याह त आय गयो, अऊर जसो ओको बारे म लिख्यो हय, उन्न जो कुछ चाहयो वसोच ओको संग करयो।”
यीशु न दुष्ट आत्मा लग्यो बच्चा ख चंगो करयो
(मत्ती १७:१४-२१; लूका ९:३७-४३)
14 जब यीशु चेलावों को जवर आयो, त देख्यो कि उन्को चारयी तरफ बड़ी भीड़ लगी हय अऊर धर्मशास्त्री उन्को संग वाद विवाद कर रह्यो हंय। 15 ओख देखतोच सब बहुतच अचम्भित भयो, अऊर ओको तरफ दौड़ क यीशु ख नमस्कार करयो। 16 यीशु न चेलावों सी पुच्छ्यो, “तुम इन्को सी का बहस कर रह्यो हय?”
17 भीड़ म सी एक आदमी न ओख उत्तर दियो, “हे गुरु, मय अपनो बेटा ख, जेको म दुष्ट आत्मा समायी हय, ओख तोरो जवर लायो ऊ बोल नहीं सकय। 18 जित कहीं आत्मा ओख पकड़य हय, उतच पटक देवय हय: अऊर ऊ मुंह म फेस लावय हय, अऊर दात कटरय हय, अऊर सूखतो जावय हय। मय न तोरो चेलावों सी कह्यो कि वा बुरी आत्मा ख निकाल दे, पर हि नहीं निकाल सक्यो।”
19 यो सुन क यीशु न चेलावों सी उत्तर दे क कह्यो, “हे अविश्वासी लोगों, मय कब तक तुम्हरो संग रहूं? अऊर कब तक तुम्हरी सहू? ऊ टुरा ख मोरो जवर लावो।”
20 तब हि बच्चा ख यीशु को जवर लायो: अऊर जब ओन ओख देख्यो, त वा दुष्ट आत्मा न तुरतच ओख मुरकट्यो; अऊर ऊ जमीन पर गिर क, मुंह सी फेस फेकतो लोटन लग्यो।
21 यीशु न ओको बाप सी पुच्छ्यो, “येकी या दशा कब सी हय?” ओन कह्यो, “बचपना सी। 22 ओन येख मारन लायी कभी आगी म अऊर कभी पानी म गिरायो; पर यदि तय कुछ कर सकय हय, त हम पर तरस खाय क हमरी मदत कर।”
23 यीशु न ओको सी कह्यो, “यदि तय कर सकय हय? त या का बात आय! विश्वास करन वालो लायी सब कुछ होय सकय हय।”
24 बच्चा को बाप न तुरतच गिड़गिड़ाय क कह्यो, “मय विश्वास करू हय, पर मोरो विश्वास कमजोर हय मोरो अविश्वास बड़ावन म मोरी मदत कर।”
25 जब यीशु न देख्यो कि लोग दौड़ क भीड़ लगाय रह्यो हंय, त ओन दुष्ट आत्मा ख यो कह्य क डाट्यो कि, “मुक्की अऊर बहरी आत्मा, मय तोख आदेश देऊ हय, ओको म सी निकल आव, अऊर ओको म फिर कभी मत सिरजो।”
26 तब दुष्ट आत्मा चिल्लाय क अऊर ओख मुरकट क, निकल गयी; अऊर बच्चा मरयो हुयो सो भय गयो, यहां तक कि बहुत लोग कहन लग्यो कि “ऊ मर गयो हय।” 27 पर यीशु न ओको हाथ पकड़ क ओख उठायो, अऊर ऊ खड़ो भय गयो।
28 जब यीशु घर म आयो, त ओको चेलावों न एकान्त म ओको सी पुच्छ्यो, “हम दुष्ट आत्मा ख कहाली नहीं निकाल सक्यो?”
29 यीशु न उन्को सी कह्यो, “यो तरह की दुष्ट आत्मा प्रार्थना करनो सीच निकल सकय हय।”
यीशु की दूसरी भविष्यवानी अपनो मृत्यु को बारे म
(मत्ती १७:२२,२३; लूका ९:४३-४५)
30 तब यीशु अऊर ओको चेला उत सी निकल क गलील प्रदेश म सी होतो हुयो जाय रह्यो होतो। त ऊ नहीं चाहत होतो कि कोयी ख मालूम पड़यो कि ऊ उत हय, 31 कहालीकि ऊ अपनो चेलावों ख शिक्षा दे रह्यो होतो अऊर उन्को सी कहत होतो, “मय आदमी को बेटा, आदमियों को हाथ म पकड़वायो जाऊं, अऊर हि मोख मार डालेंन; अऊर मय मरन को तीन दिन बाद जीन्दो होय जाऊं।”
32 पर हि यीशु की बात समझ नहीं सक्यो, कहालीकि हि ओको सी पूछन सी डरत होतो।
सब सी बड़ो कौन?
(मत्ती १८:१-५; लूका ९:४६-४८)
33 तब हि कफरनहूम पहुंच्यो; अऊर घर म आय क यीशु न चेलावों सी पुच्छ्यो, “रस्ता म तुम कौन्सी बात पर बहस कर रह्यो होतो?”
34  पर हि चुप रह्यो, कहालीकि रस्ता म हि आपस म बहस कर रह्यो होतो कि हम म सी बड़ो कौन हय? 35  तब यीशु न बैठ क बारयी चेलावों ख बुलायो अऊर उन्को सी कह्यो, “यदि कोयी बड़ो होनो चाहवय, त सब सी छोटो अऊर सब को सेवक बनेंन।” 36 अऊर ओन एक बच्चा ख ले क उन्को बीच म खड़ो करयो, अऊर ओख गोदी म ले क उन्को सी कह्यो, 37  “जो कोयी मोरो नाम सी असो बच्चा म सी कोयी एक ख भी स्वीकार करय हय, ऊ मोख स्वीकार करय हय; अऊर जो कोयी मोख स्वीकार करय हय, ऊ मोख नहीं, पर मोरो भेजन वालो ख स्वीकार करय हय।”
जो विरोध म नहाय ऊ पक्ष म हय
(लूका ९:४९,५०)
38 तब यूहन्ना न यीशु सी कह्यो, “हे गुरु, हम न एक आदमी ख तोरो नाम सी दुष्ट आत्मावों ख निकालता देख्यो अऊर हम्न ओख रूकन लायी कह्यो, कहालीकि ऊ हमरो झुण्ड म सी नहीं होतो।”
39 यीशु न कह्यो, “ओख मना मत करो” कहालीकि असो कोयी नहाय जो मोरो नाम सी सामर्थ को काम करय हय, अऊर जल्दी सी मोख बुरो कह्य सकेंन। 40  कहालीकि जो हमरो विरोध म नहाय, ऊ हमरो तरफ हय। 41  जो कोयी एक प्याला पानी तुम्ख येकोलायी पिलायेंन कि तुम मसीह को आय त मय तुम सी सच कहू हय कि ऊ निश्चित रूप सी अपनो पुण्य पायेंन।
पापों ख उकसावनो
(मत्ती १८:६-९; लूका १७:१,२)
42 “जो आदमी मोरो पर विश्वास करन वालो इन छोटो म सी छोटो पाप करन लायी उत्साहित करेंन त ओको लायी ठीक यो हय कि एक बड़ो गरहट को पाट ओको गरो म टंगाय क ओख समुन्दर म फेक दियो जाये।” 43  यदि तोरो हाथ तोरो सी पाप करवावय त ओख काट डाल। तोरो लायी दोयी हाथों को बजाय एक हाथ को जीवन म सिरनो कहीं अच्छो हय बजाय दोयी हाथ वालो होय क नरक म डाल्यो जाये, जहां की आगी कभी नहीं बुझय। 44 जित कीड़ा नहीं मरय अऊर आगी नहीं बुझय।* 45 यदि तोरो पाय तोख पापों लायी उत्साहित करन को वजह बनेंन त ओख काट डाल। लंगड़ा होय क् जीवन म सिरनो तोरो लायी येको सी ठीक हय कि दोय पाय रह्य क् भी नरक म डाल दियो जाये। 46 जित उन्को कीड़ा नहीं मरय अऊर आगी नहीं बुझय। 47  यदि तोरी आंखी तोख पापों लायी उत्साहित करन को वजह बनय हय त ओख निकाल डाल। तोरो लायी यो ठीक हय कि दोयी आंखी रखन यां नरक म फेकन को बजाय केवल एक आंखी सी परमेश्वर को राज्य म सिर। 48 जित कीड़ा नहीं मरय अऊर आगी नहीं बुझय।
49 हर एक लोग ख आगी सी शुद्ध करयो जायेंन, जसो बलिदान नमक सी शुद्ध करयो जावय हय।
50  “नमक अच्छो हय, पर यदि नमकपन को स्वाद खोय देवय हय, त ओख फिर सी कसो नमकीन करो?
“आपस म दोस्ती को नमक रखे, अऊर आपस म मिलझुल क अऊर एक दूसरों सी शान्ति सी रहे।”
9:2 ९:२ २ पतरस १:१७,१८ 9:7 ९:७ मत्ती ३:१७; मरकुस १:११; लूका ३:२२ 9:11 ९:११ मत्ती ११:१४ 9:34 ९:३४ लूका २२:२४ 9:35 ९:३५ मत्ती २०:२६,२७; २३:११; मरकुस १०:४३,४४; लूका २२:२६ 9:37 ९:३७ मत्ती १०:४०; लूका १०:१६; यूहन्ना १३:२० 9:40 ९:४० मत्ती १२:३०; लूका ११:२३ 9:41 ९:४१ मत्ती १०:४२ 9:43 ९:४३ मत्ती ५:३० * 9:44 ९:४४ कुछ हस्त लेख म यो वचन नहीं मिलय 9:46 ९:४६ कुछ पूरानो हस्त लेख म यो वचन नहीं मिलय 9:47 ९:४७ मत्ती ५:२९ 9:50 ९:५० मत्ती ५:१३; लूका १४:३४,३५