10
हे भाऊवों-बहिनों, मोरो मन की अभिलाषा अऊर ओको लायी परमेश्वर सी मोरी प्रार्थना हय कि हि उद्धार पाये। कहालीकि मय या बात सी निश्चित रह्य हय, कि परमेश्वर की पर उन्की भक्ति उन्को सच्चो ज्ञान पर आधारित नहीं। कहालीकि हि परमेश्वर की सच्चायी सी अनजान होय क, अऊर अपनी सच्चायी स्थापित करन को कोशिश कर क्, परमेश्वर की सच्चायी को अधीन नहीं भयो। मसीह न व्यवस्था को अन्त करयो ताकि हर कोयी जो विश्वास करय हय परमेश्वर को संग सही सम्बन्ध म आवय हंय।
उद्धार हय सब को लायी
सच्चायी ख बारे म जो व्यवस्था सी मिल्यो हय, ओको वर्नन मूसा यो तरह करय हय। जो कोयी व्यवस्था की आज्ञा मानय हय ऊ जीन्दो रहेंन पर जो सच्चायी विश्वास सी हय, ओको बारे शास्त्र यो कह्य हय, “तय अपनो मन म यो मत कहजो कि स्वर्ग पर कौन चढ़ेंन?” मतलब मसीह ख उतार लावन लायी! यां “अधोलोक म कौन उतरेंन?” मतलब मसीह ख मरयो हुयो म सी जीन्दो कर क् ऊपर लावन को लायी! पर यो का कह्य हय? “परमेश्वर को वचन तुम्हरो जवर हय, तोरो मुंह म अऊर तोरो मन म हय,” यो उच विश्वास को वचन आय, जो हम प्रचार करजे हंय, कि यदि तय अपनो मुंह सी यीशु ख प्रभु जान क अंगीकार करे, अऊर अपनो मन सी विश्वास करे कि परमेश्वर न ओख मरयो हुयो म सी जीन्दो करयो, त तय पक्को उद्धार पायजो। 10 कहालीकि सच्चायी को लायी मन सी विश्वास करन सी हम परमेश्वर को संग सही सम्बन्ध म आवय हय; अऊर मुंह सी कबूल करन सी मुक्ति पावय हय। 11 कहालीकि पवित्र शास्त्र यो कह्य हय, “जो कोयी ओको पर विश्वास करेंन ऊ लज्जित नहीं होयेंन।” 12 यहूदियों अऊर गैरयहूदियों म कुछ अन्तर नहाय, येकोलायी कि अऊर ऊ परमेश्वर सब को प्रभु आय अऊर अपनो सब ख बहुतायत सी आशिषित करय हय जो ओको पुकारयो हय। 13 कहालीकि शास्त्र कह्य हय, “जो कोयी प्रभु को मदत को लायी पुकारयो हय ऊ बचायो जायेंन।”
14 फिर जेको पर उन्न विश्वास नहीं करयो, हि ओको कसो पुकारेंन? अऊर जेको बारे म सुन्यो नहीं ओको पर कसो विश्वास करे? अऊर प्रचारक को बिना कसो सुनेंन? 15  *अऊर यदि सन्देश सुनन वालो न भेज्यो नहीं जाये, त कसो प्रचार करेंन? जसो शास्त्र म लिख्यो हय, “उन्को पाय का सुहावनो हंय, जो सुसमाचार ख लावय हय, जो अच्छी बातों को सुसमाचार सुनावय हंय!” 16  पर सब न ऊ सुसमाचार पर कान नहीं लगायो: यशायाह कह्य हय, “हे प्रभु, कौन न हमरो सुसमाचार पर विश्वास करयो हय?” 17 अब भी सन्देश ख सुनन सी विश्वास उपजय हय अऊर सन्देश तब सुन्यो जावय हय जब कोयी मसीह को वचन सुन्यो होवय हय।
18 पर मय कहू हय, का उन्न नहीं सुन्यो? सुन्यो त जरूर हय; कहालीकि शास्त्र म लिख्यो हय,
“उन्को स्वर पूरी धरती पर,
छोर अऊर उन्को वचन जगत की छोर तक पहुंच गयो हंय।”
19 मय फिर कहू हय, का इस्राएली नहीं जानत होतो? पहिले त मूसा कह्य हय,
“मय उन्को द्वारा जो जाति नहाय,
तुम्हरो मन म जलन पैदा करू;
मय एक विश्वासहीन जाति को
द्वारा तुम्ख गुस्सा दिलाऊं।”
20  फिर यशायाह बड़ो हिम्मत को संग कह्य हय,
“जो मोख नहीं ढूंढत होतो, उन्न मोख पा लियो; अऊर जो मोख पूछत भी नहीं होतो,
उन पर मय प्रगट भय गयो।”
21  §पर मय इस्राएल को बारे म ऊ यो कह्य हय, “मय पूरो दिन अपनो हाथ एक आज्ञा नहीं मानन वाली अऊर विरोध करन वाली प्रजा को तरफ हाथ फैलायो रह्यो।”
* 10:15 १०:१५ यशायाह ५२:७ 10:16 १०:१६ यशायाह ५३:१ 10:20 १०:२० यशायाह ६५:१ § 10:21 १०:२१ यशायाह ६५:२