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बलि-भेँड़ा छओटा छाप खोलैत छथि
हम देखलहुँ जे बलि-भेँड़ा ओहि सातटा छाप मे सँ एकटा केँ खोललनि। तखन ओहि चारू जीवित प्राणी मे सँ एकटा केँ एहन आवाज मे, जे मेघक गर्जन जकाँ लगैत छल, ई कहैत सुनलहुँ जे, “आउ!” तखन हमरा एकटा उज्‍जर घोड़ा देखाइ देलक। ओहि पर जे सवार छल, से धनुष लेने छल। ओकरा एक विजय-मुकुट देल गेलैक आ ओ विजयी भऽ कऽ आरो विजय प्राप्‍त करबाक लेल निकलि गेल।
जखन बलि-भेँड़ा दोसर छाप केँ खोललनि तँ दोसर जीवित प्राणी केँ हम ई कहैत सुनलहुँ जे “आउ!” आब लाल रंगक एकटा घोड़ा बहरायल। ओकर सवार केँ ई अधिकार देल गेलैक जे ओ पृथ्‍वी पर सँ शान्‍ति उठा लय, जाहि सँ लोक एक-दोसर केँ खून करऽ लागय। ओकरा एकटा बड़का तरुआरि देल गेलैक।
जखन बलि-भेँड़ा तेसर छाप खोललनि, तँ हम तेसर जीवित प्राणी केँ ई कहैत सुनलहुँ जे, “आउ!” आब हमरा एकटा कारी घोड़ा देखाइ देलक। ओहि पर जे सवार छल, तकरा हाथ मे तराजू छलैक। तखन हमरा एकटा आवाज सुनाइ देलक जे ओहि चारू जीवित प्राणीक बीच सँ अबैत बुझायल, जे ई कहि रहल छल, “दिन भरिक मजदूरी एक सेर गहुम! दिन भरिक मजदूरी तीन सेर जौ! मुदा जैतूनक तेल आ अंगूरक मदिरा केँ नोकसान नहि करिहह।”
जखन ओ चारिम छाप खोललनि तँ हम चारिम जीवित प्राणी केँ ई कहैत सुनलहुँ जे, “आउ!” और हमरा आँखिक सामने एकटा पिअर सन हलका रंगक घोड़ा देखाइ देलक। ओकर सवारक नाम मृत्‍यु छलैक आ ओकरा पाछाँ-पाछाँ पाताल* छलैक। ओकरा सभ केँ पृथ्‍वीक जनसंख्‍याक एक चौथाइ भाग पर अधिकार देल गेलैक जे, तरुआरि, अकाल, महामारी आ पृथ्‍वीक जंगली जानबर सभ द्वारा मारय।
जखन बलि-भेँड़ा पाँचम छाप खोललनि तखन हम वेदीक नीचाँ मे ओहि लोक सभक आत्‍मा सभ केँ देखलहुँ, जे सभ परमेश्‍वरक वचन पर अटल रहबाक कारणेँ आ तकर गवाही देबाक कारणेँ मारल गेल छलाह। 10 ओ सभ जोर सँ आवाज देलनि जे, “हे स्‍वामी, अहाँ जे पवित्र आ सत्‍य छी, अहाँ कहिया तक पृथ्‍वीक निवासी सभक न्‍याय कऽ कऽ हमरा सभक खूनक बदला नहि लेब?” 11 हुनका सभ मे प्रत्‍येक केँ उज्‍जर वस्‍त्र देल गेलनि आ कहल गेलनि जे, “किछु समय तक आओर विश्राम करह, जाबत धरि तोरा सभक ओहि संगी-सेवक आ भाय सभक संख्‍या नहि पुरि जाइत छह, जे सभ तोरे सभ जकाँ मारल जायत।”
12 जखन बलि-भेँड़ा छठम छाप खोललनि, तँ हम देखलहुँ जे बड़का भूकम्‍‍प भेल। सूर्य रोंइयाँ सँ बनल कम्‍बल जकाँ कारी, आ चन्‍द्रमा खून जकाँ लाल भऽ गेल। 13 आकाशक तारा सभ पृथ्‍वी पर एना खसल जेना अन्‍हड़-बिहारि मे अंजीरक काँच फल सभ खसि पड़ैत अछि। 14 आकाश एना विलीन भऽ गेल, जेना ओ कोनो कपड़ा होअय जकरा केओ लपेटि कऽ हटा देने होइक। प्रत्‍येक पहाड़ आ द्वीप अपना-अपना स्‍थान सँ हटि गेल। 15 तखन पृथ्‍वीक राजा, शासक, सेनापति, धनवान आ सामर्थी लोक, और प्रत्‍येक दास आ स्‍वतन्‍त्र व्‍यक्‍ति—सभ केँ सभ पहाड़ सभक गुफा सभ मे आ चट्टान सभ मे जा कऽ नुका रहल। 16 और ओ सभ पहाड़ सभ आ चट्टान सभ सँ कहऽ लागल जे, “हमरा सभ पर खसि पड़, आ हमरा सभ केँ हुनका नजरि सँ, जे सिंहासन पर विराजमान छथि, आ बलि-भेँड़ाक क्रोध सँ नुका दे! 17 किएक तँ हुनका लोकनिक क्रोधक भयानक दिन आबि गेल अछि, आ के अछि जे तकर सामना कऽ सकत?”
* 6:8 6:8 मूल मे, “हेडीस”, अर्थात्‌, “मरल सभक वास-स्‍थान”