यशोअ
मुसन्निफ़ की पहचान
यशोअ की किताब अपने मुसन्निफ़ के नाम को वाज़ेह नहीं करती — इस के अलावा यशोअ बिन नून मूसा का जानशीन पुरे इस्राईल का रहनुमा उस ने इस किताब में बहुत कुछ लिखा इस किताब के आखरी हिस्से को कम अज़ कम एक और शख्स नेने यशोअ की मौत के बाद लिखा यह भी मुमकिन है कि कई एक हिस्से मदवन किए गए हों या यशोअ के मरने के बाद उन्हें तालीफ़ व तरतीब दिए गए हों — इस किताब में मूसा की मौत से लेकर वायदा किया हुआ मुल्क पर फ़तेह पाने तक के सारे वाकियात को शामिल किया गया है जो यशोअ की रहनुमाई के मातहत वुकूअ में आये थे।
लिखे जाने की तारीख़ और जगह
इस के तसनीफ़ की तारीख तक़रीबन 1405 - 1385 क़ब्ल मसीह है।
किताब की असल इबारत गालिबन मुमकिन तौर से मुल्क — ए — कनान से आगाज़ किया गया जहाँ यशोअ फ़तेह वाके’ हुई।
क़बूल कुनिन्दा पाने वाले
यशोअ की किताब बनी इस्राईल के लिए और मुस्तक़बिल के तमाम बाइबिल के कारईन के लिये लिखी गई।
असल मक़सूद
यशोअ की किताब फौजी मुहीम में शरीक होने के लिए एक आम जायज़ा को पेश करती है की उन इलाक़ों पर फ़तेह पायें जिन्हें देने के लिए ख़ुदा ने वायदा किया था — मिस्र से ख़ुरुज करने और चालीस साल जंगल में भटकने के बाद नए तौर से बसाई गई कौम अब तवाज़ुन काइम किए हुई थी की वादा किए हुए मुल्क में दाखिल हों, वहाँ बसे हुए लोगों पर फ़तेह पायेनौर इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर लें — यशोअ की किताब यह बताने के लिए आगे बढ़ती है कि किस तरह यह चुने हुए लोग अहद के मातहत रहकर वायदा किए हुए मुल्क को मुस्तकबिल की बुन्याद पर क़ायम किया — इस किताब के अन्दर अहद के जामिनों के लिए यह्वे की वफ़ादारी पाई जाती है मतलब क़बीलों के सरदारों बुज़ुर्गान — ए — इस्राईल के साथ जिन्हें सीना के इलाक़े में दिया गया था — यह नविश्ता इल्हाम देने और खुदा के लोगों की रहनुमाई के लिए है कि अहद और इतिहाद को क़ायम रखे और आने वाली पीढ़ी के लिए एक ऊंचा मज़हबी नमूना पेश करे।
मौज़’अ
फतह
बैरूनी ख़ाका
1. वादा किए हुए मुल्क में दाखिला — 1:1-5:12
2. मुल्क पर फ़तेह — 5:13-12:24
3. मुल्क की तक़सीम — 13:1-21:45
4. क़बीलों का इतहाद और ख़ुदावंद के लिए वफ़ादारी — 22:1-24:33
1
यशू'अ के मालिक का ज़िम्मा
और ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा की वफ़ात के बाद ऐसा हुआ कि ख़ुदावन्द ने उसके ख़ादिम नून के बेटे यशू'अ से कहा, “मेरा बन्दा मूसा मर गया है इसलिए अब तू उठ और इन सब लोगों को साथ लेकर इस *यरदन के पार उस मुल्क में जा जिसे मैं उनको या'नी, बनी इस्राईल को देता हूँ। जिस — जिस जगह तुम्हारे पाँव का तलुवा टिके उसको, जैसा मैंने मूसा से कहा, मैंने तुमको दिया है। वीराने और उस लुबनान से लेकर बड़े दरिया — ए — फ़रात तक हित्तियों का सारा मुल्क और पश्चिम की तरफ़ बड़े समन्दर तक तुम्हारी ह़द होगी। तेरी ज़िन्दगी भर कोई शख्स़ तेरे सामने खड़ा न रह सकेगा; जैसे मैं मूसा के साथ था वैसे ही तेरे साथ रहूँगा मैं न तुझ से अलग हूँगा और न तुझे छोड़ूंगा। इसलिए मज़बूत हो जा और हौसला रख, क्यूँकि तू इस क़ौम को उस मुल्क का वारिस करायेगा जिसे मैंने उनको देने की क़सम उनके बाप दादा से खाई। तू सिर्फ़ मज़बूत और निहायत दिलेर हो जा कि एहतियात रख कर उस सारी शरी'अत पर 'अमल करे जिसका हुक्म मेरे बन्दे मूसा ने तुझ को दिया; उस से न दहिने मुड़ना न बायें ताकि जहाँ कहीं तू जाये तुझे ख़ूब कामयाबी हासिल हो। शरी'अत की यह किताब तेरे मुँह से न हटे, बल्कि तुझे दिन और रात इसी का ध्यान हो ताकि जो कुछ उस में लिखा है उस सब पर तू एहतियात करके 'अमल कर सके; क्यूँकि तब ही तुझे कामयाबी की राह नसीब होगी और तू ख़ूब कामयाब होगा। क्या मैनें तुझको हुक्म नहीं दिया? इसलिए मज़बूत हो जा और हौसला रख; ख़ौफ़ न खा और बेदिल न हो, क्यँकि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा जहाँ जहाँ तू जाए तेरे साथ रहेगा।”
इस्रालियों पर यशू'अ का ज़िम्मा
10 तब यशू'अ ने लोगों के मनसबदारों को हुक्म दिया कि। 11 तुम लश्कर के बीच से होकर गुज़रो और लोगों को यह हुक्म दो कि तुम अपने अपने लिए सफ़र का सामान तैयार कर लो क्यूँकि तीन दिन के अन्दर तुम को इस यरदन के पार होकर उस मुल्क पर क़ब्ज़ा करने को जाना है जिसे ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा तुमको देता है ताकि तुम उसके मालिक हो जाओ। 12 और बनी रुबिन और बनी जद और मनस्सी के आधे क़बीले से यशू'अ ने यह कहा कि। 13 उस बात को जिसका हुक्म ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने तुमको दिया याद रखना कि ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा तुमको आराम बख़्शता है और वह यह मुल्क तुमको देगा। 14 तुम्हारी बीवियां और तुम्हारे बाल बच्चे और चौपाये इसी मुल्क में जिसे मूसा ने यरदन के इस पार तुमको दिया है रहें, लेकिन तुम सब जितने बहादुर और सूरमा हो हथियार लगाए हुए अपने भाइयों के आगे आगे पार जाओ और उनकी मदद करो। 15 जब तक ख़ुदावन्द तुम्हारे भाइयों को तुम्हारी तरह आराम न बख़्शे और वह उस मुल्क पर जिसे ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा उनको देता है क़ब्ज़ा न कर लें। बाद में तुम अपनी मिल्कियत के मुल्क में लौटना जिसे ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने यरदन के इस पार पूरब की तरफ़ तुम को दिया है और उसके मालिक होना। 16 और उन्होंने यशू'अ को जवाब दिया कि जिस जिस बात का तूने हम को हुक्म दिया है हम वह सब करेंगे, और जहाँ जहाँ तू हमको भेजे वहाँ हम जाएँगे। 17 जैसे हम सब उमूर में मूसा की बात सुनते थे वैसे ही तेरी सुनेंगे; सिर्फ़ इतना हो कि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा जिस तरह मूसा के साथ रहता था तेरे साथ भी रहे। 18 जो कोई तेरे हुक्म की मुख़ालिफ़त करे और सब मु'आमिलों में जिनकी तू ताकीद करे तेरी बात न माने वह जान से मारा जाए। तू सिर्फ़ मज़बूत हो जा और हौसला रख।
* 1:2 1:2 यरदन नदी, देखें 1:11; 2:7; 2:23; 3:8 1:4 1:4 बहीरा — ए — रोम 1:8 1:8 1: शरीयत की किताब में लिखी हुई बातें