23
जब तू हाकिम के साथ खाने बैठे,
तो खू़ब ग़ौर कर, कि तेरे सामने कौन है?
अगर तू खाऊ है, तो अपने गले पर छुरी रख दे।
उसके मज़ेदार खानों की तमन्ना न कर,
क्यूँकि वह दग़ा बाज़ी का खाना है।
मालदार होने के लिए परेशान न हो;
अपनी इस 'अक़्लमन्दी से बाज़ आ।
क्या तू उस चीज़ पर आँख लगाएगा जो है ही नहीं?
लेकिन लगा कर आसमान की तरफ़ उड़ जाती है?
तू तंग चश्म की रोटी न खा,
और उसके मज़ेदार खानों की तमन्ना न कर;
क्यूँकि जैसे उसके दिल के ख़याल हैं वह वैसा ही है। वह तुझ से कहता है खा और पी,
लेकिन उसका दिल तेरी तरफ़ नहीं
जो निवाला तूने खाया है तू उसे उगल देगा,
और तेरी मीठी बातें बे मतलब होंगी
अपनी बातें बेवक़ूफ़ को न सुना,
क्यूँकि वह तेरे 'अक़्लमंदी के कलाम की ना क़द्री करेगा।
10 पुरानी हदों को न सरका,
और यतीमों के खेतों में दख़ल न कर,
11 क्यूँकि उनका रिहाई बख़्शने वाला ज़बरदस्त है;
वह खुद ही तेरे ख़िलाफ़ उनकी वक़ालत करेगा।
12 तरबियत पर दिल लगा,
और 'इल्म की बातें सुन।
13 लड़के से तादीब को दरेग़ न कर;
अगर तू उसे छड़ी से मारेगा तो वह मर न जाएगा।
14 तू उसे छड़ी से मारेगा,
और उसकी जान को पाताल से बचाएगा।
15 ऐ मेरे बेटे, अगर तू 'अक़्लमंद दिल है,
तो मेरा दिल, हाँ मेरा दिल ख़ुश होगा।
16 और जब तेरे लबों से सच्ची बातें निकलेंगी,
तो मेरा दिल शादमान होगा।
17 तेरा दिल गुनहगारों पर रश्क न करे,
बल्कि तू दिन भर ख़ुदावन्द से डरता रह।
18 क्यूँकि बदला यक़ीनी है,
और तेरी आस नहीं टूटेगी।
19 ऐ मेरे बेटे, तू सुन और 'अक़्लमंद बन,
और अपने दिल की रहबरी कर।
20 तू शराबियों में शामिल न हो,
और न हरीस कबाबियों में,
21 क्यूँकि शराबी और खाऊ कंगाल हो जाएँगे और नींद उनको चीथड़े पहनाएगी।
22 अपने बाप का जिससे तू पैदा हुआ सुनने वाला हो,
और अपनी माँ को उसके बुढ़ापे में हक़ीर न जान।
23 सच्चाई की मोल ले और उसे बेच न डाल;
हिकमत और तरबियत और समझ को भी।
24 सादिक़ का बाप निहायत ख़ुश होगा;
और अक़्लमंद का बाप उससे शादमानी करेगा।
25 अपने माँ बाप को ख़ुश कर,
अपनी वालिदा को शादमान रख।
26 ऐ मेरे बेटे, अपना दिल मुझ को दे,
और मेरी राहों से तेरी आँखें ख़ुश हों।
27 क्यूँकि फ़ाहिशा गहरी ख़न्दक़ है,
और बेगाना 'औरत तंग गढ़ा है।
28 वह राहज़न की तरह घात में लगी है,
और बनी आदम में बदकारों का शुमार बढ़ाती है।
29 कौन अफ़सोस करता है? कौन ग़मज़दा है? कौन झगड़ालू है?
कौन शाकी है? कौन बे वजह घायल है? और किसकी आँखों में सुर्ख़ी है?
30 वही जो देर तक मयनोशी करते हैं;
वही जो मिलाई हुई मय की तलाश में रहते हैं।
31 जब मय लाल लाल हो,
जब उसका बर'अक्स जाम पर पड़े,
और जब वह रवानी के साथ नीचे उतरे, तो उस पर नज़र न कर।
32 क्यूँकि अन्जाम कार वह साँप की तरह काटती,
और अज़दहे की तरह डस जाती है।
33 तेरी आँखें 'अजीब चीज़ें देखेंगी,
और तेरे मुँह से उलटी सीधी बातें निकलेगी।
34 बल्कि तू उसकी तरह होगा जो समन्दर के बीच में लेट जाए,
या उसकी तरह जो मस्तूल के सिरे पर सो रहे।
35 तू कहेगा उन्होंने तो मुझे मारा है,
लेकिन मुझ को चोट नहीं लगी; उन्होंने मुझे पीटा है लेकिन मुझे मा'लूम भी नहीं हुआ।
मैं कब बेदार हूँगा? मैं फिर उसका तालिब हूँगा।