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मिलकियत की हिफ़ाज़त
जिसने कोई बैल या भेड़ चोरी करके उसे ज़बह किया या बेच डाला है उसे हर चोरी के बैल के एवज़ पाँच बैल और हर चोरी की भेड़ के एवज़ चार भेड़ें वापस करना है।
हो सकता है कि कोई चोर नक़ब लगा रहा हो और लोग उसे पकड़कर यहाँ तक मारते पीटते रहें कि वह मर जाए। अगर रात के वक़्त ऐसा हुआ हो तो वह उसके ख़ून के ज़िम्मादार नहीं ठहर सकते। लेकिन अगर सूरज के तुलू होने के बाद ऐसा हुआ हो तो जिसने उसे मारा वह क़ातिल ठहरेगा।
चोर को हर चुराई हुई चीज़ का एवज़ाना देना है। अगर उसके पास देने के लिए कुछ न हो तो उसे ग़ुलाम बनाकर बेचना है। जो पैसे उसे बेचने के एवज़ मिलें वह चुराई हुई चीज़ों के बदले में दिए जाएँ।
अगर चोरी का जानवर चोर के पास ज़िंदा पाया जाए तो उसे हर जानवर के एवज़ दो देने पड़ेंगे, चाहे वह बैल, भेड़, बकरी या गधा हो।
हो सकता है कि कोई अपने मवेशी को अपने खेत या अंगूर के बाग़ में छोड़कर चरने दे और होते होते वह किसी दूसरे के खेत या अंगूर के बाग़ में जाकर चरने लगे। ऐसी सूरत में लाज़िम है कि मवेशी का मालिक नुक़सान के एवज़ अपने अंगूर के बाग़ और खेत की बेहतरीन पैदावार में से दे।
हो सकता है कि किसी ने आग जलाई हो और वह काँटेदार झाड़ियों के ज़रीए पड़ोसी के खेत तक फैलकर उसके अनाज के पूलों को, उस की पकी हुई फ़सल को या खेत की किसी और पैदावार को बरबाद कर दे। ऐसी सूरत में जिसने आग जलाई हो उसे उस की पूरी क़ीमत अदा करनी है।
हो सकता है कि किसी ने कुछ पैसे या कोई और माल अपने किसी वाक़िफ़कार के सुपुर्द कर दिया हो ताकि वह उसे महफ़ूज़ रखे। अगर यह चीज़ें उसके घर से चोरी हो जाएँ और बाद में चोर को पकड़ा जाए तो चोर को उस की दुगनी क़ीमत अदा करनी पड़ेगी। लेकिन अगर चोर पकड़ा न जाए तो लाज़िम है कि उस घर का मालिक जिसके सुपुर्द यह चीज़ें की गई थीं अल्लाह के हुज़ूर खड़ा हो ताकि मालूम किया जाए कि उसने ख़ुद यह माल चोरी किया है या नहीं।
हो सकता है कि दो लोगों का आपस में झगड़ा हो, और दोनों किसी चीज़ के बारे में दावा करते हों कि यह मेरी है। अगर कोई क़ीमती चीज़ हो मसलन बैल, गधा, भेड़, बकरी, कपड़े या कोई खोई हुई चीज़ तो मामला अल्लाह के हुज़ूर लाया जाए। जिसे अल्लाह क़ुसूरवार क़रार दे उसे दूसरे को ज़ेरे-बहस चीज़ की दुगनी क़ीमत अदा करनी है।
10 हो सकता है कि किसी ने अपना कोई गधा, बैल, भेड़, बकरी या कोई और जानवर किसी वाक़िफ़कार के सुपुर्द कर दिया ताकि वह उसे महफ़ूज़ रखे। वहाँ जानवर मर जाए या ज़ख़मी हो जाए, या कोई उस पर क़ब्ज़ा करके उसे उस वक़्त ले जाए जब कोई न देख रहा हो। 11 यह मामला यों हल किया जाए कि जिसके सुपुर्द जानवर किया गया था वह रब के हुज़ूर क़सम खाकर कहे कि मैंने अपने वाक़िफ़कार के जानवर के लालच में यह काम नहीं किया। जानवर के मालिक को यह क़बूल करना पड़ेगा, और दूसरे को इसके बदले कुछ नहीं देना होगा। 12 लेकिन अगर वाक़ई जानवर को चोरी किया गया है तो जिसके सुपुर्द जानवर किया गया था उसे उस की क़ीमत अदा करनी पड़ेगी। 13 अगर किसी जंगली जानवर ने उसे फाड़ डाला हो तो वह सबूत के तौर पर फाड़ी हुई लाश को ले आए। फिर उसे उस की क़ीमत अदा नहीं करनी पड़ेगी।
14 हो सकता है कि कोई अपने वाक़िफ़कार से इजाज़त लेकर उसका जानवर इस्तेमाल करे। अगर जानवर को मालिक की ग़ैरमौजूदगी में चोट लगे या वह मर जाए तो उस शख़्स को जिसके पास जानवर उस वक़्त था उसका मुआवज़ा देना पड़ेगा। 15 लेकिन अगर जानवर का मालिक उस वक़्त साथ था तो दूसरे को मुआवज़ा देने की ज़रूरत नहीं होगी। अगर उसने जानवर को किराए पर लिया हो तो उसका नुक़सान किराए से पूरा हो जाएगा।
लड़की को वरग़लाने का जुर्म
16 अगर किसी कुँवारी की मँगनी नहीं हुई और कोई मर्द उसे वरग़लाकर उससे हमबिसतर हो जाए तो वह महर देकर उससे शादी करे। 17 लेकिन अगर लड़की का बाप उस की उस मर्द के साथ शादी करने से इनकार करे, इस सूरत में भी मर्द को कुँवारी के लिए मुक़र्ररा रक़म देनी पड़ेगी।
सज़ाए-मौत के लायक़ जरायम
18 जादूगरनी को जीने न देना।
19 जो शख़्स किसी जानवर के साथ जिंसी ताल्लुक़ात रखता हो उसे सज़ाए-मौत दी जाए।
20 जो न सिर्फ़ रब को क़ुरबानियाँ पेश करे बल्कि दीगर माबूदों को भी उसे क़ौम से निकालकर हलाक किया जाए।
कमज़ोरों की हिफ़ाज़त के लिए अहकाम
21 जो परदेसी तेरे मुल्क में मेहमान है उसे न दबाना और न उससे बुरा सुलूक करना, क्योंकि तुम भी मिसर में परदेसी थे।
22 किसी बेवा या यतीम से बुरा सुलूक न करना। 23 अगर तू ऐसा करे और वह चिल्लाकर मुझसे फ़रियाद करें तो मैं ज़रूर उनकी सुनूँगा। 24 मैं बड़े ग़ुस्से में आकर तुम्हें तलवार से मार डालूँगा। फिर तुम्हारी बीवियाँ ख़ुद बेवाएँ और तुम्हारे बच्चे ख़ुद यतीम बन जाएंगे।
25 अगर तूने मेरी क़ौम के किसी ग़रीब को क़र्ज़ दिया है तो उससे सूद न लेना।
26 अगर तुझे किसी से उस की चादर गिरवी के तौर पर मिली हो तो उसे सूरज डूबने से पहले ही वापस कर देना है, 27 क्योंकि इसी को वह सोने के लिए इस्तेमाल करता है। वरना वह क्या चीज़ ओढ़कर सोएगा? अगर तू चादर वापस न करे और वह शख़्स चिल्लाकर मुझसे फ़रियाद करे तो मैं उस की सुनूँगा, क्योंकि मैं मेहरबान हूँ।
अल्लाह से मुताल्लिक़ फ़रायज़
28 अल्लाह को न कोसना, न अपनी क़ौम के किसी सरदार पर लानत करना।
29 मुझे वक़्त पर अपने खेत और कोल्हुओं की पैदावार में से नज़राने पेश करना। अपने पहलौठे मुझे देना। 30 अपने बैलों, भेड़ों और बकरियों के पहलौठों को भी मुझे देना। जानवर का पहलौठा पहले सात दिन अपनी माँ के साथ रहे। आठवें दिन वह मुझे दिया जाए।
31 अपने आपको मेरे लिए मख़सूसो-मुक़द्दस रखना। इसलिए ऐसे जानवर का गोश्त मत खाना जिसे किसी जंगली जानवर ने फाड़ डाला है। ऐसे गोश्त को कुत्तों को खाने देना।