36
लाज़िम है कि बज़लियेल, उहलियाब और बाक़ी कारीगर जिनको रब ने मक़दिस की तामीर के लिए हिकमत और समझ दी है सब कुछ ऐन उन हिदायात के मुताबिक़ बनाएँ जो रब ने दी हैं।”
इसराईली दिली ख़ुशी से देते हैं
मूसा ने बज़लियेल और उहलियाब को बुलाया। साथ ही उसने हर उस कारीगर को भी बुलाया जिसे रब ने मक़दिस की तामीर के लिए हिकमत और महारत दी थी और जो ख़ुशी से आना और यह काम करना चाहता था। उन्हें मूसा से तमाम हदिये मिले जो इसराईली मक़दिस की तामीर के लिए लाए थे।
इसके बाद भी लोग रोज़ बरोज़ सुबह के वक़्त हदिये लाते रहे। आख़िरकार तमाम कारीगर जो मक़दिस बनाने के काम में लगे थे अपना काम छोड़कर मूसा के पास आए। उन्होंने कहा, “लोग हद से ज़्यादा ला रहे हैं। जिस काम का हुक्म रब ने दिया है उसके लिए इतने सामान की ज़रूरत नहीं है।” तब मूसा ने पूरी ख़ैमागाह में एलान करवा दिया कि कोई मर्द या औरत मक़दिस की तामीर के लिए अब कुछ न लाए।
यों उन्हें मज़ीद चीज़ें लाने से रोका गया, क्योंकि काम के लिए सामान ज़रूरत से ज़्यादा हो गया था।
मुलाक़ात का ख़ैमा
जो कारीगर महारत रखते थे उन्होंने ख़ैमे को बनाया। उन्होंने बारीक कतान और नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी धागे से दस परदे बनाए। परदों पर किसी माहिर कारीगर के कढ़ाई के काम से करूबी फ़रिश्तों का डिज़ायन बनाया गया। हर परदे की लंबाई 42 फ़ुट और चौड़ाई 6 फ़ुट थी। 10 पाँच परदों के लंबे हाशिये एक दूसरे के साथ जोड़े गए और इसी तरह बाक़ी पाँच भी। यों दो बड़े टुकड़े बन गए। 11 दोनों टुकड़ों को एक दूसरे के साथ मिलाने के लिए उन्होंने नीले धागे के हलक़े बनाए। यह हलक़े हर टुकड़े के 42 फ़ुटवाले एक किनारे पर लगाए गए, 12 एक टुकड़े के हाशिये पर 50 हलक़े और दूसरे पर भी उतने ही हलक़े। इन दो हाशियों के हलक़े एक दूसरे के आमने-सामने थे। 13 फिर बज़लियेल ने सोने की 50 हुकें बनाकर उनसे आमने-सामने के हलक़ों को एक दूसरे के साथ मिलाया। यों दोनों टुकड़ों के जोड़ने से ख़ैमा बन गया।
14 उसने बकरी के बालों से भी 11 परदे बनाए जिन्हें कपड़ेवाले ख़ैमे के ऊपर रखना था। 15 हर परदे की लंबाई 45 फ़ुट और चौड़ाई 6 फ़ुट थी। 16 पाँच परदों के लंबे हाशिये एक दूसरे के साथ जोड़े गए और इस तरह बाक़ी छः भी। 17 इन दोनों टुकड़ों को मिलाने के लिए उसने हर टुकड़े के 45 फ़ुटवाले एक किनारे पर पचास पचास हलक़े लगाए। 18 फिर पीतल की 50 हुकें बनाकर उसने दोनों हिस्से मिलाए।
19 एक दूसरे के ऊपर के दोनों ख़ैमों की हिफ़ाज़त के लिए बज़लियेल ने दो और ग़िलाफ़ बनाए। बकरी के बालों के ख़ैमे पर रखने के लिए उसने मेंढों की सुर्ख़ रँगी हुई खालें जोड़ दीं और उसके ऊपर रखने के लिए तख़स की खालें मिलाईं।
20 इसके बाद उसने कीकर की लकड़ी के तख़्ते बनाए जो ख़ैमे की दीवारों का काम देते थे। 21 हर तख़्ते की ऊँचाई 15 फ़ुट थी और चौड़ाई सवा दो फ़ुट। 22 हर तख़्ते के नीचे दो दो चूलें थीं। इन चूलों से हर तख़्ते को उसके पाइयों के साथ जोड़ा जाता था ताकि तख़्ता खड़ा रहे। 23 ख़ैमे की जुनूबी दीवार के लिए 20 तख़्ते बनाए गए 24 और साथ ही चाँदी के 40 पाए भी जिन पर तख़्ते खड़े किए जाते थे। हर तख़्ते के नीचे दो पाए थे, और हर पाए में एक चूल लगती थी। 25 इसी तरह ख़ैमे की शिमाली दीवार के लिए भी 20 तख़्ते बनाए गए 26 और साथ ही चाँदी के 40 पाए जो तख़्तों को खड़ा करने के लिए थे। हर तख़्ते के नीचे दो पाए थे। 27 ख़ैमे की पिछली यानी मग़रिबी दीवार के लिए छः तख़्ते बनाए गए। 28 इस दीवार को शिमाली और जुनूबी दीवारों के साथ जोड़ने के लिए कोनेवाले दो तख़्ते बनाए गए। 29 इन दो तख़्तों में नीचे से लेकर ऊपर तक कोना था ताकि एक से शिमाली दीवार मग़रिबी दीवार के साथ जुड़ जाए और दूसरे से जुनूबी दीवार मग़रिबी दीवार के साथ। इनके ऊपर के सिरे कड़ों से मज़बूत किए गए। 30 यों पिछले यानी मग़रिबी तख़्तों की पूरी तादाद 8 थी और इनके लिए चाँदी के पाइयों की तादाद 16, हर तख़्ते के नीचे दो पाए।
31-32 फिर बज़लियेल ने कीकर की लकड़ी के शहतीर बनाए, तीनों दीवारों के लिए पाँच पाँच शहतीर। वह हर दीवार के तख़्तों पर यों लगाने के लिए थे कि उनसे तख़्ते एक दूसरे के साथ मिलाए जाएँ। 33 दरमियानी शहतीर यों बनाया गया कि वह दीवार की आधी ऊँचाई पर दीवार के एक सिरे से दूसरे सिरे तक लग सकता था। 34 उसने तमाम तख़्तों और शहतीरों पर सोना चढ़ाया। शहतीरों को तख़्तों के साथ लगाने के लिए उसने सोने के कड़े बनाए जो तख़्तों में लगाने थे।
मुक़द्दस ख़ैमे के परदे
35 अब बज़लियेल ने एक और परदा बनाया। उसके लिए भी बारीक कतान और नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी रंग का धागा इस्तेमाल हुआ। उस पर भी किसी माहिर कारीगर के कढ़ाई के काम से करूबी फ़रिश्तों का डिज़ायन बनाया गया। 36 फिर उसने परदे को लटकाने के लिए कीकर की लकड़ी के चार सतून, सोने की हुकें और चाँदी के चार पाए बनाए। सतूनों पर सोना चढ़ाया गया।
37 बज़लियेल ने ख़ैमे के दरवाज़े के लिए भी परदा बनाया। वह भी बारीक कतान और नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी रंग के धागे से बनाया गया, और उस पर कढ़ाई का काम किया गया। 38 इस परदे को लटकाने के लिए उसने सोने की हुकें और कीकर की लकड़ी के पाँच सतून बनाए। सतूनों के ऊपर के सिरों और पट्टियों पर सोना चढ़ाया गया जबकि उनके पाए पीतल के थे।