9
नुह आरु हेका पुर्या क बरकत
1 ओळतेन परमेश्वर नुह आरु ओका पुर्या क बोरकोत आप्यो आरु उना सी कयो फुलो–फलो, आरु वोदु, आरु कोळी मा भोराय जावु।
2 तुमरी बीक आरु भय कोळी क आखो ढुरो, आरु आकाश क सब चिल्ला, आरु कोळी पोर क सब रेंगनेवाळा जीवो, आरु दरीया क सब माछा पोर बोनलो रोहसे: ये आखा तुमरा होको मा कोर दिदो जातो छे।
3 आखा चालनेवाळा जिवे तुमरो खानो बोनसे; जोसो तुमुक निळ्वा निव्वा नानला झाड़ आपला हुता, तोसोत हिमी वी आखो आपो।
4 बाखुन मांस क जिवो साते अर्थात् लुहुय भेव तमु झुणी खाता। (लेव्यव्यवस्ता 19:26, 15:23, व्यव्थाविवरण 12:16,23, उत्पत्ती 17:10-1)
5 आरु खोरीत हांव तुमरे लुहुय अर्थात जीवोन बोदलु लीस: आखा ढुरे आरु मानसो, दुयो सी हांव हुयो लिस; मानसोन जीवो क बदलो एक एक क भाई बोन्या सी लीस।
6 जो कुदु मानषोन लुहुय उहवाड़से तेरो लुहुय मानषोन से उहावाड़ीयो जासे, काहकी परमेश्वर मानुसकाजे आपसा रुपोन ओनसारे बनावलो छे। (उत्पत्ती 1:26, निर्गमन 20:13)
7 आरु तुमु फुलो–फलो, आरु वोदु, आरु कोळी पोर घोनसोटा ओवलियाद पोयदा कोरिन एरेम भोरय जावु (उत्पत्ती 1:28)
8 ओळतेन परमेश्वर नुह आरु ओका पुर्या से कयो,
9 “सोमळु, हांव तुमरे साते आरु तुमरे वाद मा जी तुमरी ओवलियाद होयसे, ओका सात मा वी वायदु बाधो;
10 आरु आखा जीवतला जीवो सी वी जे तुमरे साते छे काय चिल्ला काय पावन्या ढुरे काय कोळी क सब बनेले ढुरे, कोळी क जोतरा जिवजोनतु ढोन्ड्या सी निकोवला छे।
11 आरु हांव तुमरे साते आपसु यु वायदु बांधो कि आखा जिव ओळतेन जळ–प्रलय सी नष्ट नी होयसे: आरु कोळी क नाश कोरने क लिय ओळी जळ–प्रलय नी होयसे।”
12 ओळतेन परमेश्वर कयो, “जु वायदु हांव तुमरे साते, आरु जोतरा जिवतला जिवे तुमरे साते छे तेनु सब क साथ वी जोलोम जोलोम् क पीढ़ी क लिय बांधो, ओकी यी सोहलानी छे:
13 हांव वादळा मा आपनु बाम मेकलु छे, चो मारे आरु कोळी क विच मा वाचा क सोहलानी रोहसे।
14 आरु जोत्यार हांव कोळी पोर वादळो फेलावीस ती वादळा मा बाम देखा पोड़से।
15 ती मारी जी वाचा तुमरे आरु सब जिवतला डीलवाळा जीवो क सात बन्धी छे; उको हांव फोम राखीस, ती ओसो जळ–प्रलय ओळी नी होयसे जिनासी सब जिवो क विनाश होय।
16 वादवा मा जो धनुष होयसे हांव तेनाक देखीन यो हमीशा फोम राखीस, जो परमेश्वर क आरु कोळी पोर सब जीवतला डीलोवाळा जिवे क विच वायदु छे।”
17 ओळतेन परमेश्वर नुह सी कुयो, “जी वाचा हांव कोळी भोर क सब जिवो क सात मा बांदली छे, ओकी सोहलानी यी छे।”
नुह आरु हेका पोर्या
18 नुह क पुर्य जो ढोन्ड्या मा सी निकोळया चे, शेम, हाम आरु येपेत हुता; आरु हामु कनान का बाबो हुतो।
19 नुह क तीन पुर्या येत छे, आरु ओकी ओवलियाद आखी कोळी पोर जात रोया।
20 नुह जो एक किरसान हुतो, दाखन वाड़ी लगाड़ने वाळो पेहलो मानुस हुयो।
21 आरु हुयो दाखमधु पीन छाक गुयो; आरु आपसा घोर धोड़्ये नांगरु हुय गोयु।
22 ती कनान क बाबो हाम आपसा क नांगो देख्यो, आरु खोयड़े आवीन आपसा दुयो भाई क कय दिदो (लेव्यव्यवस्ता 20:13)
23 ती शेम आरु येपेत दुयु छिंदरो लिन आपसा खांदा पोर मेल्या आरु पोछोळ फिरिन ओन्दा चलिन आपसा बास क नांगा क डील क ढाक दिदा, आरु चे आपसो मुख पोछोल कोरला हुता एकालीय हिये आपसा बाबा क नांगो नी देख्या।
24 जोत्यार नुह क नशो उतरीयो गियो। ती हियो जान लियो कि ओको नानलो पुर्यो ओका सात मा काय कोरलो छे।
25 एकालीय हियो कयो, “कनान शापित होये हियो आपसा भाय बोन्यान क दासो क दास होये।”
26 ओळी हीयो कयो, “शेम का परमेश्वर योहोवा सोयाव्वु छे, आरु कनान शेम का दास होये।
27 परमेश्वर येपेत क ओवलियाद क फेलावे; आरु हुयो शेम क तम्बुओं मा वोसे, आरु कनान ओको दास हुये।”
28 जळ–प्रलय क वाद मा नुह तीन सोव पचास साल जीवतलो रयो।
29 ओस कोरिन नुह क उमोर साढ़े नोव सोव साल हुयो; तेर वाद मा मोर गयो।